आदर्श राठोर जी के ब्लॉग प्याला पर पहली कविता अगर तुम युवा हो... पढ़ी बहुत अच्छी लगी
उसको आगे बढ़ाना चाहती हु इसी क्रम में...
किसी के डर से कभी रास्ता मत बदलना
जब भी चलो तो अपने जस्बे को सीने में नही हाथो में लेकर चलना
ओर अगर छलनी भी हो जाओ तो हाथो को फैलाकर उस जस्बे को आजाद कर देना,
उन तमाम लोगो के लिए जो उम्र से पहले ही बुड्ढे हो गए
अगर तुम युवा हो...
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